एक बार दौड़ने की प्रतियोगिता चल रही थी।
जितने लोगो ने हिस्सा लिया था, सब पूरी तैयारी के साथ आये थे।
लक्ष तय था। सभी को लक्ष पर सब से पहले पहुँचने की ख्वाईश थी।
जैसे ही प्रतियोगिता का प्रारंभ हुआ, सभी दौड़ने लगे मगर उल्टी दिशा में। हर कोई अपने प्रतियोगी को देख कर और तेज़ दौड़ता ताकि लक्ष तक पहले पहुँच सके।
आपको क्या लगता है, कौन पहले पहुँचेगा?
कैसा सवाल पूछ रहे हो भाई!!
उल्टी दिशा में दौड़ने से कोई कैसे लक्ष पर पहुँचेगा!!??
ज्ञानिओ ने मनुष्यभव का लक्ष बताया है मुक्ति। मुक्ति की दौड़ में मैं अगर बंधन की तरफ दौड़ रहा हूँ और ऊपर से मेरे साथ दौड़ने वालों से आगे निकल ने की मेहनत कर रहा हूँ तो क्या मैं अपने लक्ष पर पहुँचूँगा या फिर में उल्टी दिशा में दौड़कर प्रथम आकर लक्ष से सब से ज्यादा दूर हो जाऊंगा!!।।??
जितने लोगो ने हिस्सा लिया था, सब पूरी तैयारी के साथ आये थे।
लक्ष तय था। सभी को लक्ष पर सब से पहले पहुँचने की ख्वाईश थी।
जैसे ही प्रतियोगिता का प्रारंभ हुआ, सभी दौड़ने लगे मगर उल्टी दिशा में। हर कोई अपने प्रतियोगी को देख कर और तेज़ दौड़ता ताकि लक्ष तक पहले पहुँच सके।
आपको क्या लगता है, कौन पहले पहुँचेगा?
कैसा सवाल पूछ रहे हो भाई!!
उल्टी दिशा में दौड़ने से कोई कैसे लक्ष पर पहुँचेगा!!??
ज्ञानिओ ने मनुष्यभव का लक्ष बताया है मुक्ति। मुक्ति की दौड़ में मैं अगर बंधन की तरफ दौड़ रहा हूँ और ऊपर से मेरे साथ दौड़ने वालों से आगे निकल ने की मेहनत कर रहा हूँ तो क्या मैं अपने लक्ष पर पहुँचूँगा या फिर में उल्टी दिशा में दौड़कर प्रथम आकर लक्ष से सब से ज्यादा दूर हो जाऊंगा!!।।??
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