Saturday, November 23, 2019

2. ये वक्त वक्त की बात है.

ये वक्त वक्त की बात है...

युद्ध के मैदान में,
मान रहा था वो बाप है,
मुंह की खाई उसने जब,
बेटे ने घोषित किया, वो सांप है...
ये वक्त वक्त की बात है...

बेटे ने फिर मिलाए सुर उनसे,
जो मैदान में परास्त है,
चलो हम मिलकर बाप को मारे,
यही आपसे दरख्वास्त है...
ये वक्त वक्त की बात है...

विरोधियों को मज़ा आया,
कमजोर होने पर भी किया शत्रु को मात है,
बाप ने रख दिया दाव पर सब कुछ,
विरोधियों से मिलकर, बेटे को किया साफ है...
ये वक्त वक्त की बात है...

निष्कर्ष...!!!
जो किसिके खिलाफ था,
आज उसी के साथ है,
जिसके सामने उंगली उठाई,
उसका थामा आज हाथ है...
ये वक्त वक्त की बात है...

Friday, November 8, 2019

1. Umeed.

मंदिर का मन नहीं,
ना मस्ज़िद की ज़िद है,
प्यार, अमन, भाईचारा, कायम रहे,
बस इतनी सी उम्मीद है।

मस्ज़िद की ज़िद नहीं,
ना मंदिर का मन है,
प्रगति की ओर बढ़े कदम,
तो सफल मनुष्य जीवन है।

मंदिर का मन नहीं,
ना मस्ज़िद की ज़िद है,
एक स्कूल, एक अस्पताल बन जाए,
इस में ज़रूर, इंसानियत की जीत है।

मस्ज़िद की ज़िद नहीं,
ना मंदिर का मन है,
सब का मंगल और कल्याण हो,
ऊपरवाले ने सार्थक किया, यह वचन है।