Friday, November 8, 2019

1. Umeed.

मंदिर का मन नहीं,
ना मस्ज़िद की ज़िद है,
प्यार, अमन, भाईचारा, कायम रहे,
बस इतनी सी उम्मीद है।

मस्ज़िद की ज़िद नहीं,
ना मंदिर का मन है,
प्रगति की ओर बढ़े कदम,
तो सफल मनुष्य जीवन है।

मंदिर का मन नहीं,
ना मस्ज़िद की ज़िद है,
एक स्कूल, एक अस्पताल बन जाए,
इस में ज़रूर, इंसानियत की जीत है।

मस्ज़िद की ज़िद नहीं,
ना मंदिर का मन है,
सब का मंगल और कल्याण हो,
ऊपरवाले ने सार्थक किया, यह वचन है।

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