People call it Philosophy, I call it the way of life.
कल मैं कहता था, मंदिर एक सपना है
आज हकीकत है, मंदिर मेरा अपना है
सवाल यह है, किसके लिए अब तपना है?
खुद राम बनना है, या सिर्फ राम-नाम जपना है?
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