Saturday, November 21, 2015

3. अहंकार.

संसार में हर क्षेत्र और हर कार्य में सफल होना तो शायद ही संभव है। परंतु कई बार ऐसा होता है की मैं कोई एक क्षेत्र में पूर्ण रूप से सफल होने की कोशिश में लगा रहता हूँ और कुछ हद तक नाम कमा लेता हूँ।

उसी क्षेत्र में मुझसे ज्यादा सफल कई लोग हो अथवा मुझसे तेज़ होने की वजह से आगे निकल रहे हो यह संभव है। अक्सर लोग पूछते है की आप तो इस क्षेत्र में माहिर है फिर आपको शिखर सर करने की इच्छा नहीं होती?

मैं जवाब देता हूँ की करने को तो मैं बहोत कुछ कर सकता हूँ / सकता था परंतु मैं अपने लोभ को बढ़ाना नहीं चाहता और शिखर पर पहुचना कौनसी बड़ी बात है पर मुझमें ऐसा कोई अहंकार नहीं।

सच बात तो यह है की मुझमें लोभ और अहंकार कूट कूट कर भरा पड़ा है लेकिन मेरे निजी कारणो से यदि मैं सफलता की ऊंचाइयों पर नहीं पहुचता तो मैं लोभ और अहंकार की न्यूनता का दिखावा करता हूँ और वाकई में साबित करता हूँ की मैं सब से बड़ा अहंकारी हूँ जब मैं यह कहता हूँ की "करने को तो मैं कर सकता हूँ"।

No comments: