Monday, July 25, 2016

1. Saans lena bhul gaya...

मैं सांस लेना भूल गया...मगर!!

सुबह होते ही दौड़ने लगा,
पैरों के सहारे, कभी उँगलियों पर...
हज़ार काम करता गया,
याद रहा सब कुछ सरासर...
मैं सांस लेना भूल गया...मगर!!

एक ही दिशा में बढ़ते कदम,
वही काम और वही दफ्तर...
भूख लगने पर होता है एहसास,
आधा दिन गया है गुज़र...
मैं सांस लेना भूल गया...मगर!!

दिन चला, हो गयी है शाम,
घंटी बजी अब जाना है घर...
बीवी ने जो कहा था,
वो ले जाना था याद रखकर...
मैं सांस लेना भूल गया...मगर!!

दिन रात हफ्ते महीने साल,
चलता रहा यही चक्कर...
याद करते करते निपटाए सब काम,
और बीत गयी सारी उमर...
मैं सांस लेना भूल गया...मगर!!

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