रात को होटल में लगती आग,
आम आदमी, तू जान बचाने भाग,
दिन में रास्तों पर लोग लगाते आग,
यह सब चैन से सोयेगे,
आम आदमी तू केवल जाग...
जलेगा आम आदमी,
मरेगा आम आदमी,
टैक्स भी भरेगा आम आदमी,
ताकि देश चलाने में,
रहे ना कोई कमी...
कुछ हुआ था, ये भूल जाएंगे सभी,
काल ऐसा समा होगा कि नही हुआ था कुछ कभी,
क्या मिलेगा याद रखकर भी,
जलालो चाहे जितनी मोमबतिया..
आम आदमी मरता जलता रहेगा फिर भी.
आम आदमी, तू जान बचाने भाग,
दिन में रास्तों पर लोग लगाते आग,
यह सब चैन से सोयेगे,
आम आदमी तू केवल जाग...
जलेगा आम आदमी,
मरेगा आम आदमी,
टैक्स भी भरेगा आम आदमी,
ताकि देश चलाने में,
रहे ना कोई कमी...
कुछ हुआ था, ये भूल जाएंगे सभी,
काल ऐसा समा होगा कि नही हुआ था कुछ कभी,
क्या मिलेगा याद रखकर भी,
जलालो चाहे जितनी मोमबतिया..
आम आदमी मरता जलता रहेगा फिर भी.
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