Thursday, August 29, 2019

3. मैं ज़रा सा ठहर गया...

सारी दुनिया भाग रही थी,
मैं ज़रा सा ठहर गया...

रफ़्तार सभी की थी तेज,
मैंने पूछा, आपकी मंज़िल है कहां और क्या?

कुछ ने बोला यही संसार की रीत है,
कई बोले, मत पूछ सवाल, कदम चला...

मैंने सोचा, भाई क्या प्राप्ति होगी इससे,
आखिर किस चीज की तलाश है भला...

आया एक इंसान दौड़ धाम कर,
गिर पड़ा आगे, थका सा था उसका चेहरा...

बोला भाई, अच्छा हुआ तुम रुके हो,
हाथ देना मुझे अपना ज़रा...

बोला मैंने, थके हो भाई आराम कर लो,
वो चिल्लाया, दोस्त काम बाकी है दुनिया भर का..

आगे बोला, क्या पागल हो, रुक गए,
या भटक गए हो रास्ता, घर का...

जवाब दिया मैंने, जी आप चलते रहें,
मैं सोच रहा हूं, कुछ अलग, कुछ नया...

सारी दुनिया भाग रही थी,
मैं बस ठहर गया ।।।

No comments: