सूर्योदय के पहले अंधेरे में जब एक पिता अपनी बेटी के साथ उसे कोई क्लासेस में छोड़ने जाता है, तब मुंबई जैसे शहर में उसे असुरक्षा का भय नहीं है लेकिन प्यार है...
रात के अंधेरे में इम्तिहान के पूर्व जब एक माँ अपनी संतान के साथ सारी रात जागती है, तब उसे परीक्षा के परिणाम का डर नहीं है परंतु प्यार है...
जब एक भाई अपनी बहन से राखी बंधवाता है, तब बहन भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती है और भाई अपनी बहन को महफूज़ रखने का वादा करता है, यह दुआ और वचन कोई दस्तावेज नहीं है, केवल प्यार है...
देर होने पर शाम को जब एक पत्नी अपने पति के इंतज़ार में घर के बाहर ताकती है तब उसे कोई शक नहीं है किसी बात का, सिर्फ प्यार है...
चलते वक़्त जब एक पति रास्ते की बाहरी ओर चलकर पत्नी को अंदर चलने कहता है तो वो उसका अभिमान नहीं है, बस प्यार है...
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