बाढ़ आई तब मैंने आवाज़ उठाई,
भूकंप आया तो ज़ोर से चिल्लाया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
सरकार को दोष देने में कोई कमी ना दिखाई,
शाशन के खिलाफ जाकर सब को बताया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
पीड़ितों ने अपनी दुविधा बतायी,
उनका दर्द लोगों को बताकर मैंने अपना फ़र्ज़ जताया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
कौन सही, कौन गलत, इसकी पर्ची बनाई,
किसे क्या करना चाहिए, उसका चिट्ठा बनाया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
भुला दी यह घटना, और जब दूसरी आयी,
फिर वही वाकिया मैंने दोहराया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
सोचता, बोलता रहा, क्या ज़बरदस्त विचारो का प्रदर्शन किया, करवाया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
भूकंप आया तो ज़ोर से चिल्लाया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
सरकार को दोष देने में कोई कमी ना दिखाई,
शाशन के खिलाफ जाकर सब को बताया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
पीड़ितों ने अपनी दुविधा बतायी,
उनका दर्द लोगों को बताकर मैंने अपना फ़र्ज़ जताया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
कौन सही, कौन गलत, इसकी पर्ची बनाई,
किसे क्या करना चाहिए, उसका चिट्ठा बनाया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
भुला दी यह घटना, और जब दूसरी आयी,
फिर वही वाकिया मैंने दोहराया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
सोचता, बोलता रहा, क्या ज़बरदस्त विचारो का प्रदर्शन किया, करवाया,
पर क्या मैं किसीके काम आया!?!
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