Friday, November 16, 2018

4. मस्त हूँ.

ना कोई भाग दौड़, ना व्यर्थ् उलझन,
नहीं कहीं कुछ खोज ने में व्यस्त हूँ,
अपनी मस्ती में खुश हूँ,
अपनी ख़ुशी में मस्त हूँ।।

कोई कुछ कहे, सोचे तो वह उसका है,
बाहर के परिवर्तनों में, नहीं त्रस्त हूँ,
अपनी मस्ती में खुश हूँ,
अपनी ख़ुशी में मस्त हूँ।।

हर किसे कुछ साबित करना है,
इन व्यापारो में नहीं दुनियपरस्त हूँ,
अपनी मस्ती में खुश हूँ,
अपनी ख़ुशी में मस्त हूँ।।

दुनिया में कुछ रोग है, जो भीतर है,
उनका सामना करने के लिए, मन से स्वस्थ हूँ,
अपनी मस्ती में खुश हूँ,
अपनी ख़ुशी में मस्त हूँ।।

यह खेल तो केवल चंद बरस चालेगा,
अपुर्व को हासिल करने की सोच में ज़बरदस्त हूँ,
अपनी मस्ती में खुश हूँ,
अपनी ख़ुशी में मस्त हूँ।।

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