Wednesday, October 7, 2020

2. कुछ पन्ने...

 कुछ पन्ने पलट कर देखूं अगर,

इतना बुरा नहीं है अब तक का सफर,

हां, दुख ज़रूर है कई मुकाम पर,

लेकिन खुशियों का हिस्सा है ज्यादातर...


फिर भी, भविष्य की चिंता में अक्सर,

मन विचलित सुबह, रात, दोपहर,

आने वाले कल की होती इतनी फिकर,

इस क्षण के आनंद से हटती नज़र...


जो होने वाला है उसकी नहीं है खबर,

उसमे उलझने से क्या होगा मगर,

कुछ हुआ भी तो मिलेगा उत्तर,

हौसला बुलंद तो मालिक बैठा है ऊपर...


ए दिल, आज फिर कुछ ऐसा कर,

हो जाए जिसका सुनहरा असर,

यह समय जाए हस्ते गाते गुज़र,

और याद रह जाए सारी उमर,

कल जब फिरसे...कुछ पन्ने पलट कर देखूं अगर,

लाजवाब लगे यह जीवन का सफर ।।।

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