।। ख्वाइशों का त्योहार ।।
बीत रहा है जीवन,
कश्मकश है बरकरार,
ख्वाइशों की सूची लंबी,
अंजाम देने को दिल है तैयार...
थोड़ा सा और कमा ले,
दिमाग कहता है लगातार,
पूरी कर लेना इच्छाएं,
पहले संभाल अपना संसार...
समय की सुई भाग रही,
है उसकी तेज़ रफ्तार,
एक दो शौख तो करने दे,
मुझे मुकम्मल मेरे यार...
कमाई हुई लूटा देगा तो,
कैसे चलेगा आगे व्यवहार,
तेरी नादानी की कीमत,
भुगतेगा तू, तेरा परिवार...
तो फिर क्या है बता,
इस जीवन का सार,
कुचल दूं सब जो दिल कहे,
और ना करूं सपने साकार...
सारा जीवन बाकी है,
क्यों सोच रहा है बेकार,
अभी दुनिया के संग दौड़,
और कर ख्वाबों को फरार...
भाग रहा हूं, सोच रहा हूं,
दिमाग को करके स्वीकार,
यह उम्मीद लिए दिल में,
एक दिन मनाऊंगा...
...ख्वाइशों का त्योहार।।।
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