किताबों में क्या बयां करे,
जिंदगी मुख्तसर है...
कुछ ख्वाब, कुछ किस्से,
कभी ख़ुशी, साथ कुछ फ़िकर है...
कई ख्वाहिशें, कई पहेलियाँ,
कुछ उम्मीद, फिर भी कई डर है...
कहीं हसना, कहीं रोना,
कई मंजिल, लेकिन कहीं बेखबर है...
कभी पाना, कभी खोना,
कहीं ठहरना, और कभी सफ़र है...
किताबों में क्या बयां करे,
जिंदगी मुख्तसर है...
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