Sunday, October 8, 2017

3. Mokshamala.

Written on occasion of Mokshamala results...

पच्चीस बरस का है यह सफर...

अकेले चल पड़े थे धीरेन 'सर',
मंज़िल दूर, आसान करनी थी डगर,
हमे भी साथ लिया, शुरू हुआ नया सफर,
आज भी उनके स्मरण में झुकता है सर...

बात करें हम, फलश्रुति की अगर,
खत्म नहीं होगी, ज़िन्दगी भर,
इम्तिहान कई थे, आज का था विशेष मगर,
नाम रोशन हुआ, सर किये नए शिखर...

निश्चय पूर्ण मक्कम, और हौसला प्रखर,
बुद्धि का इस्तेमाल, विश्वास में निडर,
अभिनंदन आप तीनो को, हमे है फकर (फक्र),
Very well done, पिंकी, अमी, टीचर...

अर्पण उनके नाम, क्या करें उनका ज़िकर,
है उनका साथ, तो मंज़िल की नहीं फिकर,
बहुत आगे बढ़े हम सब, एक दूसरे का हाथ पकड़कर,
पच्चीस बरस का अब तक है सफर,
मंजिल है अपनी, मोक्ष नगर।

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