मेरी दुकान एक दिन भी बंद रही, तो बहुत नुकसान हो जाता है। ज़िन्दगी रुक जाती है। जीना मुश्किल हो जाता है।ऐसा कहने वाला में १२ दिन से घर पर बैठा हूं, दुकान बंद है फिर भी ज़िन्दगी चल रही है। जीना भी ऐसा कोई खास मुश्किल नहीं है।ऊपर छत है, साथ में परिवार है, तीन वक़्त का खाना है, सुकून की नींद है।ऐसा शायद ज़िन्दगी भर नहीं चलेगा लेकिन जीवन में ऐसे कुछ दिन जब आयेगे तो खुशी से चल जाएगा।मुझे रुक नहीं जाना, पर एक विचार करना है।यह सब जब फिरसे शुरू होगा तो क्या में वैसे ही भागता रहूंगा जब तक कोई मुझे जबरदस्ती ना रोके?मुझे आज यह संकल्प करना है कि ३ महीने में एक बार, में अपने आपको रोकुंगा केवल ३ दिन के लिए और इसी तरह ज़िन्दगी बिताऊंगा जैसे पीछले १२ दिनों से गुजर रही है।मेरे लिए जो काम कर रहे है उन सबको छुट्टी दे दूंगा। मैं भी छुट्टी ले लूंगा और छत, परिवार, खाना और नींद - इनका आनंद लूंगा।१२ महीने भागना ही है तो १२ दिन तो रुक भी सकता हूं ना।
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