Wednesday, April 29, 2020

7. Irrfan.


A tribute

सलाम बॉम्बे कहते हुए आये थे साहबज़ादे
बॉम्बे को कर दिया सलाम, छूट गए कुछ वादे

सब कुछ कर लिया था हासिल?, पलक झपकते चल दिए
बनेगी अपनी बात, यह कहते रहे फिर भी निकल लिए

लाइफ इन ए मेट्रो को जल्द ही बोल दिया थैंक यु
कुछ कसूर, कुछ गुनाह, अधूरे है बिल्लू

पान सिंह तोमर की दौड़ में काफी थी रफ़्तार
किसे पता था, इतनी तेज़ चलेगी, ये साली ज़िन्दगी पर तलवार

फुटपाथ पर चल पड़ा था अकेला, कारवाँ बन गया
मानो या ना मानो, वो ब्लैकमेल कर गया

लेकिन नॉक-आउट कर दे ऐसा हुआ ज़ालिम रोग
वरना D-Day का ना होता इतना जल्दी योग

राइट या रॉंग की मुझे नहीं है समझ बिलकुल
मदारी का यूँ लंचबॉक्स छोड़ देना इस स्लमडॉग को नहीं मकबूल   

There are 21 movies and 2 serials in this poem1 सलाम बॉम्बे
2 हासिल?
3 कसूर
4 बिल्लू
5 ये साली ज़िन्दगी
6 फुटपाथ
7 ब्लैकमेल
8 रोग
9 राइट या रॉंग
10 The लंचबॉक्स
11 मकबूल
12 लाइफ इन ए मेट्रो
13 थैंक यु
14 गुनाह
15 पान सिंह तोमर
16 तलवार
17 कारवाँ
18 नॉक-आउट
19 D-Day
20 मदारी
21 स्लमडॉग

1 बनेगी अपनी बात
2 मानो या ना मानो

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