Wednesday, April 8, 2020

5. वक़्त.

वक़्त
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एक छुपी हुई ख्वाइश,
न की थी कभी फरमाइश,
आज मिला है वह अवसर,
क्या हो सकती है आजमाइश !!खोज रहा था जिसे अक्सर,
आ रहा है आस पास नज़र,
क्या मिलेगा दोबारा ऐसा वक़्त,
जिसकी तमन्ना रही हरदम भीतर !!काल भले चाहे जितना सशक्त,
मेरे जिस्म में भी है गरम रक्त,
खुद से और आपसे है यह गुज़ारिश,
बनाये रखे एक दूसरे को हम सख्त !!

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