Saturday, October 31, 2015

9. Handsfree.

कल जब मैं बाग़ीचे में टहल रहा था तो देखा की एक लड़का मोबाइल फ़ोन पर हॅंड्सफ्री के माध्यम से बात कर रहा था। उसने एक हाथ में मोबाइल पकड़ा हुआ था और दूसरे में हॅंड्सफ्री का स्पीकर जो की उसके होठों के करीब था।

मेरे मन में एक प्रश्न उठा। यह जो हॅंड्सफ्री है वह तो हांथो को मुक्त करने के लिए बनाई गयी है परंतु यहाँ तो कुछ विपरीत नज़र आ रहा है।

इसके साथ तुरंत एक विचार आया। मैं दुःख से फ्री होने के लिए पैसे, मान, अधिकार इत्यादि वस्तुओं के पीछे यह मान कर भागते रहता हूँ की यह सब मेरे दुःख फ्री होने का कारण है। परंतु वास्तव में क्या इससे विपरीत अनुभव नहीं हो रहा?

जीवन गुज़ारने के लिए कुछ चीज़ें आवश्यक है परंतु सुख तो मन की स्थिति है जो भीतर है और वहीँ से आती है। दुःख फ्री होने के चक्कर में मैं कहीं दुःख तो नहीं बढ़ा रहा यह विशलेषण मुझे खुद ही करना है।

यह विवेक करना है की कहीं हॅंड्सफ्री के उपयोग में मैं दोनों हाथों को बांध तो नहीं रहा।

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