किसीने पूछ लिया, तुम क्या करते हो?
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मैंने कहा - मैं खुश रहता हूँ।
फिर वे बोले - कुछ काम तो करते होंगे,
जी, ज़िन्दगी के हर मोड़ पर नदी की तरह बहता हूँ,
चलता हूँ, रुकता हूँ, थकता हूँ, गिरता हूँ, संभलता हूँ,
हर हाल में अनुभव के आनन्द में चहकता हूँ,
कई मुसाफिर मिलते है इस सफर में,
सब से यही बात मैं कहता हूं,
कुछ करना, ना करना सब क्षण का मोह है,
इस क्षण में जो जीवन है, उसमे "मैं" महकता हूँ।
किसीने कह दिया, कविता खूब करते हो!!
मैंने कहा - मैं शब्दों से चहकता हूँ, हाँ, मैं खुश रहता हूँ।Changes in last line suggested by Suchit
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